Stamp Duty and Registration Charges : यहाँ पर आपको स्टाम्प ड्यूटी और रजिस्ट्री चार्ज क्या होता हैं. इसे किसी जमीन / सम्पति को खरीदते समय कैसे निर्धारित किया जाता हैं. सभी विवरण इस पोस्ट में दी गई हैं.
कोई व्यक्ति जब जमीन या किसी प्रोपर्टी को खरीदता हैं. या उसे कोई प्रोपर्टी उपहार स्वरूप मिलता हैं. या किसी अन्य व्यक्ति के साथ अपनी प्रोपर्टी का अदलाबदली करता हैं. तब उस आदमी को इन सभी के लिए रजिस्ट्री करवानी आवश्यक होती हैं. क्योंकि रजिस्ट्री करवाने के बाद ही वह सम्पति / प्रोपर्टी उसके नाम पर ट्रांसफर होती हैं. और वह उस सम्पति का मालिक बनता हैं. रजिस्ट्री के लिए उस व्यक्ति को राजस्व विभाग के रजिस्टार कार्यालय में जाकर उस सम्पति / प्रोपर्टी का रजिस्ट्री करवानी पड़ती हैं. तब रजिस्ट्री करवाने के लिए सरकार को Stamp Duty and Registration Charges का भुगतान करना पड़ता हैं.
जब भी कोई खरीददार किसी प्रोपर्टी को खरीदता हैं. तो उसको उस जमीन या प्रोपर्टी को अपने नाम पर करने के लिए रजिस्ट्री करवानी होती हैं. और रजिस्ट्री करवाते समय जो शुल्क सरकार को रजिस्ट्री फी और स्टंप ड्यूटी के रूप में देनी पड़ती हैं. इस शुल्क की गणना MVR (Minimum Value Register) के अधार पर ही की जाती हैं. इसको जमीन या प्रोपर्टी का सर्किल रेट भी कहा जाता हैं.
MVR Rate राजस्व विभाग या वहा की स्थानीय विकाश प्रधिकरण द्वारा निर्धारित किया जाता हैं. जो एक ही एरिया में अलग – अलग हो सकते हैं. सर्किल रेट का निर्धारण जमीन या प्रोपर्टी के विभिन्न प्रकार एवं वहां की सुविधा पर निर्भर करता हैं. जैसे – Commerical N.H, Do Fasla, Residentaial Gramin Road, Ek Fasla Commercial, Commerical Gramin Road, Residential, Diyar, Dhanhar इत्यादि.
स्टाम्प ड्यूटी क्या हैं?
भारतीय स्टाम्प अधिनियम 1899 के अनुसार स्टाम्प ड्यूटी शुल्क किसी सम्पति / प्रोपर्टी की खरीद पर या जब दुसरे के नाम पर कोई सम्पति / प्रोपर्टी को स्थान्तरण किया जाता हैं. तब सरकार द्वारा लगाया जाता हैं. यह शुक्ल जब आप किसी सम्पति / प्रोपर्टी को राजस्व विभाग के ऑफिस में जाकर पंजीयन कराते हैं. तब उस पंजीयन दस्तावेज़ के उपर आपको Stamp Duty and Registration Charges का भुगतान करना पड़ता हैं.
अगर आप स्टाम्प ड्यूटी और रजिस्ट्री शुल्क को सरकार के राजस्व विभाग को भुगतान करके जमीन का पंजीयन कराते हैं. तब वह पंजीयन दस्तावेज़ आपको उस जमीन के कानूनी रूप से स्वामित्व को दर्शाता हैं.
आप जब भी कोई जमीन / प्रोपर्टी को खरीदने जाएँ तो उस जमीन का सर्किल रेट और उस पर लगने वाले स्टाम्प ड्यूटी एवं रजिस्ट्री चार्ज को पता कर लें. क्योंकि यह सभी राज्य या सिटी टाउन में अलग – अलग हो सकते हैं. वर्तमान में स्टाम्प ड्यूटी 5 से 7 प्रतिशत तक और रजिस्ट्री चार्ज एक प्रतिशत तक हैं. Stamp Duty and Registration Charges का निर्धारण सरकार द्वारा तय किए गए जमीन / प्रोपर्टी के सर्किल रेट के अधार पर होता हैं. कुछ विशेष प्रस्थिति में यह कम या ज्यादा भी हो सकता हैं. जो सरकार द्वारा तय किए गए विभिन्न कारकों पर निर्भर करता हैं.
स्टाम्प ड्यूटी विभिन्न कारकों पर आधारित हैं
क्रेता की आयु पर – सरकार अपने सीनियर सिटिजन नागरिकों को स्टाम्प शुल्क में कुछ प्रतिशत तक का छुट देती हैं.
सम्पति के टाइप – स्टाम्प शुल्क प्रोपर्टी के टाइप पर भी निर्भर करता हैं. जैसे – आपार्टमेंट फ्लेट ज्यादा और स्वत्रंत घर पर कम स्टाम्प शुल्क देना पड़ता हैं.
व्यक्ति का लिंग – महिलाओं को स्टम्प शुल्क में कुछ प्रतिशत तक का छुट दिया जाता हैं.
सम्पति का एरिया – शहरी क्षेत्र में गांव से ज्यादा स्टाम्प शुल्क लगता हैं.
भारत के सभी राज्यों में लगने वाले स्टाम्प ड्यूटी की लिस्ट
राज्य | Stamp Duty |
आंध्र प्रदेश | 5% |
अरुणाचल प्रदेश | 6% |
असम | 8.25% |
बिहार | 5.7% – 6.3% |
छत्तीसगढ | 5% |
गोवा | 3.5% – 5% |
गुजरात | 4.9% |
हरियाणा | 4% – 8% |
हिमाचल प्रदेश | 5% |
जम्मू और कश्मीर | 5% |
झारखंड | 4% |
कर्नाटक | 5% |
केरल | 8% |
Madhya Pradesh | 5% |
महाराष्ट्र | 6% |
मणिपुर | 7% |
मेघालय | 9.9 |
मिजोरम | 9% |
नगालैंड | 8.25% |
ओडिशा | 4% – 5% |
पंजाब | 6% |
राजस्थान | 4% – 5% |
सिक्किम | 4% – 9% |
तमिलनाडु | 7% |
तेलंगाना | 5% |
त्रिपुरा | 5% |
Uttar Pradesh | 7% |
उत्तराखंड | 3.75% – 5% |
पश्चिम बंगाल | 6% – 7% |
Bangalore | 2% to 5% |
Delhi | 4% to 6% |
Mumbai | 3% to 6% |
Chennai | 1% to 7% |
Kolkata | 5% to 7% |
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Stamp Duty and Registration Charges (FAQ)
प्रश्न 01 – स्टाम्प शुल्क कौन निर्धारित करता हैं?
स्टाम्प शुल्क राज्य सरकार के राजस्व विभाग के द्वारा किसी सम्पति / प्रोपर्टी के खरीदने पर लगाया जाता हैं.
प्रश्न 02 – स्टाम्प पेपर कहा मिलता हैं?
आपको 500 रूपये से कम के Stamp पेपर की जरुरत हैं. तब यह आपको किसी अधिकृत स्टाम्प पेपर विक्रेता के पास मिल जाता हैं. और अगर 500 से ज्यादा रूपये के स्टाम्प पेपर की जरूरत हो तो आपको बैंक से संपर्क करना पड़ता हैं.
प्रश्न 03 – क्या स्टाम्प शुल्क वापस हो जाता हैं?
नहीं स्टाम्प शुल्क वापस नही किया जाता हैं. यह सरकार के कोष में चला जाता हैं. जिसे राज्य के विकाश के लिए खर्च किया जाता हैं.