जमीन रजिस्ट्री के नियम : दोस्तों इस पोस्ट में यदि आप कोई प्लॉट, खेत, मकान या किसी प्रोपर्टी का रजिस्ट्री करवाना चाहते हैं. तो रजिस्ट्री कैसे करवाई जाती हैं. उसकी पूरी प्रक्रिया क्या हैं. इसकी पूरी जानकारी सरल भाषा में स्टेप बाई स्टेप यहाँ पर दी गई हैं. जिससे आपको रजिस्ट्री करवाते समय किसी तरह की परेशानी न हो.
जब आप कोई प्रोपर्टी खरीदते हैं. तब आपको कानूनी रूप से उस प्रोपर्टी को अपने नाम पर करवाने के लिए रजिस्ट्री करवानी पड़ती हैं. सभी राज्य में रजिस्ट्री करवाने के नियम लगभग एक समान हैं. यदि आप यह जानना चाहते हैं. की रजिस्ट्री क्यों करवाते हैं? इसकी पूरी प्रक्रिया क्या हैं? अगर आप प्रोपर्टी की रजिस्ट्री नहीं करवाते हैं. तब किस तरह की परेशानी हो सकती हैं. इन सभी प्रश्नों के उत्तर जानने के लिए इस पोस्ट को अंत तक जरुर पढ़ें.
जमीन की रजिस्ट्री क्या हैं?
किसी भी प्रोपर्टी का रजिस्ट्री करवाना एक कानूनी प्रक्रिया हैं. जब कोई क्रेता किसी प्रोपर्टी को खरीदता हैं. तब वह रजिस्ट्री के द्वारा पहले वाले प्रोपर्टी के मालिक के नाम को प्रोपर्टी के दस्तावेज़ पर से हटाकर अपना नाम दर्ज करवाता हैं. तब जाकर उसने जो प्रोपर्टी खरीदा हैं. उस प्रोपर्टी का मालिक बन पता हैं. और वह उस प्रोपर्टी को अपने अनुसार उपयोग कर सकता हैं.
रजिस्ट्री के समय ध्यान रखने वाली बातें
रजिस्ट्री कराते समय लोगों के साथ धोखा हो जाता हैं. क्योंकि वह जमीन प्रोपर्टी से सम्बंधित महत्वपूर्ण दस्तावेज़ की जाँच नहीं करते हैं. और जल्दीबाजी में रजिस्ट्री करा लेते हैं. फिर उस प्रोपर्टी को हासिल करने के लिए कोर्ट कचहरी का चक्कर लगाते हैं. इस लिए जमीन की रजिस्ट्री कराने से पहले आप जो जमीन प्रोपर्टी खरीदना चाहते हैं. दस्तावेज़ की जाँच कर लेनी चाहिए. जिससे आपके साथ कोई धोखा नहीं हो. और आप जालसाजी से बच सके.
(1) जिस भी जमीन को आप खरीद रहें हैं. उस जमीन का असली मालिक कौन हैं. वह जमीन किसके नाम पर हैं. यह अवश्य पता करें.
(2) जो जमीन आप खरीदना चाहते हैं. उस जमीन को बेचने वाला स्वंय उस जमीन का मालिक हैं. या उसके पास उस जमीन के असली मालिक के द्वारा दिया गया पावर ऑफ़ अटर्नी पेपर हैं.
(3) यदि आप कोई कृषि के लिए जमीन खरीदते हैं. तब आपको उस जमीन का सर्वे नम्बर जमीन बिक्रेता से पता कर लेनी चाहिए. इस सर्वे नम्बर की मदद से आप बिहार राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग की ऑफिसियल वेबसाइट पर जाकर ऑनलाइन उस जमीन के सभी रिकॉर्ड की जाँच कर सकते हैं.
(4) आप कोई कृषि वाली जमीन खरीद रहे हैं. तो उस जमीन पर भविष्य में मकान या कोई उधोग बनाने की अनुमति मिल सकती हैं की नहीं.
(5) यदि आप किसी शहर में कोई जमीन को खरीदते हैं. उस जमीन का नक्शा वहा की नगार निगम द्वारा पास हुआ हैं की नहीं. इसकी अच्छी तरह से जाँच कर लेनी चाहिए.
रजिस्ट्री के नियम
(1) जिस जमीन को आप खरीद रहें हैं. उस जमीन का प्रमाणित नक्शा होनी चाहिए. तभी उस जमीन का रजिस्ट्री हो सकता हैं.
(2) जमीन की रजिस्ट्री कराते समय जो जमीन का बिक्रेता हैं. उसके दोनों हाथ के सभी उंगलियों के निशान देने होते हैं.
(3) जो जमीन बिक्रेता बेच रहा हैं. उस जमीन के दस्तावेज़ पर उससे सम्बंधित सभी सही डिटेल होनी चाहिए. जैसे – बिक्रेता के पिता या पति का नाम, बिक्रेता के स्थाई पता होना चाहिए.
(4) पावर ऑफ अटर्नी के द्वारा यदि आप जमीन की खरीद बेच करते हैं. तो पावर ऑफ अटर्नी के साथ आवासीय प्रमाणपत्र सलंग्न करना आवश्यक हैं.
(5) सभी राज्य में रजिस्ट्री कराने के नियम में बदलाव होते रहते हैं.
रजिस्ट्री कैसे करवाएं?
किसी प्रोपर्टी की रजिस्ट्री कैसे करवाते हैं. रजिस्ट्री करवाने की पूरी प्रक्रिया क्या हैं. इसके लिए कौन – कौन सी दस्तावेज़ की जरुरत पड़ती हैं. इसकी सभी जानकारी यहाँ नीचे स्टेप बाई स्टेप दी गई हैं.
जब आप किसी जमीन प्रोपर्टी की रजिस्ट्री करवाने जा रहे हैं. तो क्रेता और बिक्रेता के पास कुछ महत्वपूर्ण दस्तावेज़ का होना जरुरी हैं.
(i) पहचान पत्र – क्रेता और बिक्रेता के पास उनका कोई एक पहचान पत्र होना चाहिए. जैसे – अधार कार्ड.
(ii) नॉन ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट – यदि बेचने वाली जमीन पर कोई बैंक से कर्ज लिया गया हो उस स्थति में.
(iii) जमीन का दस्तावेज़
(iv) पावर ऑफ अटर्नी लेटर – जब जमीन का असली मालिक नहीं हैं. और वह किसी दुसरे को जनरल पावर ऑफ अटर्नी लेटर दिया हो.
(v) प्रोपर्टी लगान की नवीनतम रसीद.
(vi) बैंक चेक – जमीन के क्रेता को बैंक चेक का डिटेल रखना चाहिए. क्योंकि बैंक चेक डिटेल स्टाम्प पेपर पर दर्ज होता हैं.
रजिस्ट्री पेपर बनवाने के लिए आपको रजिस्ट्री कार्यालय में जाना होगा. वहाँ पर आपको रजिस्ट्री से सम्बंधित सभी पेपर को तैयार कराने वाले मिल जाते हैं. जो आपको रजिस्ट्री के दस्तावेज़ पेपर तैयार करने में मदद करते हैं. इसके लिए वह एक निर्धारित फीस लेते हैं.
रजिस्ट्री पेपर तैयार करने के लिए आपको क्रेता और बिक्रेता दोनों के कुछ जरुरी दस्तावेज़ देने होते हैं. आप जो दस्तावेज़ देते हैं. उसी के अनुसार रजिस्ट्री पेपर तैयार होता हैं. फिर आपको स्टाम्प ड्यूटी पेपर खरीदना पड़ता हैं. जो उस जमीन के सरकारी मूल्य पर आधारित होता हैं. जमीन का सरकारी रेट क्या हैं. इसको पता करने के लिए आप राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के वेबसाइट पर जाकर ऑनलाइन जमीन का सरकारी रेट (सार्किल रेट) को पता कर सकते हैं. या रजिस्ट्री कार्यालय में भी इसकी जानकारी मिल जाती हैं.
रजिस्ट्री के सभी पेपर जब तैयार हो जाते हैं. उसके बाद सभी पेपर को रजिस्ट्री कार्यालय में जमा करना होता हैं. यदि रजिस्ट्री कराने वालों की लम्बी लाइन हैं. तो आपको एक टोकन दिया जाता हैं. की आपका नम्बर कब आएगा. जब आपका नम्बर आता हैं. तब आपको सब रजिस्टार के सामने उपस्थित होना पड़ता हैं. सब रजिस्टार के द्वारा जमीन के क्रेता और बिक्रेता से कुछ प्रश्न पूछे जाते हैं. जैसे – जमीन बिक्रेता से की आप जमीन को बेच रहें हैं. आपके सभी पैसा मिल गया हैं. और क्रेता से की आप जमीन खरीद रहें हैं. उसके बाद क्रेता और बिक्रेता का जमीन के दस्तावेज़ पर हस्ताक्षर कराया जाता हैं. फिर दो गवाहों का भी हस्ताक्षर कराया जाता हैं.
जब रजिस्ट्री हो जाती हैं. तब आपको उस जमीन का एक दस्तावेज़ मिलता हैं. इस पेपर को सही से संभाल कर रखें. यह जमीन का ओरिजनल दस्तावेज़ होता हैं.
रजिस्ट्री हो जाने के बाद आपको उस जमीन का दाखिल खारिज (mutation) कराना पड़ता हैं. तब जाकर वह जमीन आपके नाम पर ट्रांसफर होती हैं. और आपके नाम से उस जमीन का लगान टेक्स रसीद का काटना शुरू होता हैं. तब जाकर उस जमीन का आप असली मालिक बन पाते हैं.
Dakhil Kharij New Update
बिहार राज्य में आप कोई जमीन की रजिस्ट्री करवाते हैं. तब आपको अब वर्तमान समय में दाखिल खारिज के लिए आवेदन करने की कोई जरूरत नहीं हैं. क्योंकि अब रजिस्ट्री होने के बाद आटोमैटिक वह जमीन दाखिल खारिज के लिए चली जाती हैं. और 45 से 90 दिन के अंदर उसका दाखिल खारिज हो जाता हैं.
लेकिन आटोमैटिक दाखिल खारिज उन्हीं लोगो का होगा. जिसने विक्रेता के नाम से जमाबंदी वाली जमीन की रजिस्ट्री करवाई हैं. अगर किसी की पुस्तैनी जमीन हैं. और वह विक्रेता के नाम पर नहीं हैं. आपने वैसी जमीन खरीदी हैं. तो आपको दाखिल खारिज करवानी पड़ेगी. या आपने किसी जमीन को 1 अप्रैल 2022 से पहले ख़रीदा हैं. उस जमीन का भी दाखिल खारिज करवाना पड़ेगा. तब जाकर वह जमीन आपके नाम पर ट्रांसफर होता हैं.
प्रोपर्टी खरीदने में सवधानी
यदि आप कोई प्रोपर्टी डीलर से प्रोपर्टी खरीद रहें हैं. तो इस बात का ध्यान रखें की कुछ प्रोपर्टी डीलर जमीन के बारे में बढ़ा चढ़ा कर झूठ बोलते हैं. वैसे प्रोपर्टी डीलर से सवधान रहें.
आज कल अखबारों में फर्जी विज्ञापन जमीन के बारे में रोज बहुत आते हैं. वैसे विज्ञापनों से दूर रहें. या इसे सही से जाँच कर लें.
जब भी आप किसी जमीन की रजिस्ट्री कराने के लिए जाएँ तो जमीन के पेपर बनवाने के लिए एक अच्छे वकील का चुनाव करें. जिसका साख अच्छा हो.
जमीन का प्रकार किस्म अच्छी तरह से पता कर लें. की जो आप जमीन ले रहें हैं उसकी किस्म क्या हैं. जैसे – खेती करने वाला जमीन, घर बनाने वाली जमीन या व्यापार वाली जमीन आदि.
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जमीन रजिस्ट्री (FAQ)
प्रश्न 01 – रजिस्ट्री में कौन – कौन से दस्तावेज़ लगते हैं?
- पहचान पत्र
- खाता प्रमाण पत्र
- NOC
- जनरल पावर ऑफ अटर्नी
- अलॉटमेंट लेटर
- प्रोपर्टी टेक्स से जुडी रसीदें
- जमीन का दस्तावेज़
प्रश्न 02 – स्टाम्प शुल्क कौन निर्धारित करता हैं?
स्टाम्प शुल्क राज्य सरकार के राजस्व विभाग के द्वारा किसी सम्पति / प्रोपर्टी के खरीदने पर लगाया जाता हैं.
प्रश्न 03 – स्टाम्प पेपर कहा मिलता हैं?
आपको 500 रूपये से कम के Stamp पेपर की जरुरत हैं. तब यह आपको किसी अधिकृत स्टाम्प पेपर विक्रेता के पास मिल जाता हैं. और अगर 500 से ज्यादा रूपये के स्टाम्प पेपर की जरूरत हो तो आपको बैंक से संपर्क करना पड़ता हैं.
प्रश्न 04 – क्या स्टाम्प शुल्क वापस हो जाता हैं?
नहीं स्टाम्प शुल्क वापस नही किया जाता हैं. यह सरकार के कोष में चला जाता हैं. जिसे राज्य के विकाश के लिए खर्च किया जाता हैं.